धारा 102(3) सीआरपीसी को समझना: पुलिस जब्ती और रिपोर्टिंग में देरी पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
धारा 102(3) के तहत, पुलिस द्वारा जब्ती की रिपोर्ट को मजिस्ट्रेट को 'तुरंत' भेजने की आवश्यकता होती है, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने दोहराया कि देरी से रिपोर्ट भेजने से उसे पूरी तरह से गलत नहीं माना जाएगा। इसका अर्थ है कि मजिस्ट्रेट को रिपोर्ट तुरंत नहीं भेजी गई हो तो भी जब्ती की कार्रवाई स्वीकृत हो सकती है, परन्तु देरी के लिए स्पष्टीकरण चाहिए।
यह निर्णय एक बैंक खाते के जब्ती मामले में लिया गया, जहां पुलिस द्वारा रिपोर्ट की गई थी, परन्तु मजिस्ट्रेट को रिपोर्ट भेजने में देरी हो गई थी। अभियुक्त ने उच्च न्यायालय में रुख किया, जहां उनकी याचिका स्वीकार की गई। सर्वोच्च न्यायालय ने यह फैसला किया कि देरी से रिपोर्ट भेजने के लिए स्पष्टीकरण चाहिए, लेकिन देरी से भेजी गई रिपोर्ट के कारण जब्ती की कार्रवाई को पूरी तरह से अमान्य नहीं माना जाएगा।
यह निर्णय धारा 102(3) के तहत पुलिस और मजिस्ट्रेट के बीच संबंधित जब्ती कार्रवाई को लेकर महत्वपूर्ण है। इससे साफ होता है कि देरी से रिपोर्ट भेजने के लिए पुलिस को उचित स्पष्टीकरण देना चाहिए, लेकिन देरी से भेजी गई रिपोर्ट के कारण कार्रवाई को पूरी तरह से अमान्य नहीं माना जाएगा।