पुरानी IPC और नई BNS की तुलना: एक विश्लेषण

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भारत में आपराधिक न्याय प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भारतीय दंड संहिता (IPC) है, जिसे 1860 में लागू किया गया था। समय के साथ, इसमें कई संशोधन हुए हैं, लेकिन अपराधों और दंडों को और अधिक आधुनिक बनाने के लिए नई भारतीय राष्ट्रीय संहिता (BNS) का प्रस्तावित किया गया है। यह ब्लॉग पोस्ट पुरानी IPC और नई BNS के बीच के कुछ प्रमुख अंतरों पर ध्यान केंद्रित करेगी।

1. वाहन दुर्घटना

   - IPC: धारा 279, 336, 337, 338, 304(A), 427
   - BNS: धारा 281, 125, 125(A), 125(B), 106, 324

2.जानलेवा हमले

   - IPC: धारा 323, 324, 325, 326, 504, 506(1), 506(2), 507
   - BNS: धारा 115(2), 118, 117(2), 118(2), 352, 351(2), 351(2), 351(3)

3.चोरी और डकैती

   - IPC: धारा 379, 379(A), 380, 454, 457, 392, 395
  - BNS: धारा 303(2), 304(2), 305, 331, 331, 309(4), 310(2)

4. हत्या और आत्महत्या

   - IPC: धारा 302, 307, 306, 304
   - BNS: धारा 103, 109, 108, 105

5. महिला उत्पीड़न

   - IPC: धारा 498(K), 304(B)
   - BNS: धारा 85, 80(2)

6. यौन उत्पीड़न

  - IPC: धारा 354, 354(A), 354(B), 354(C), 354(D), 509
  - BNS: धारा 74, 75, 76, 77, 78, 79

7. बलात्कार

   - IPC: धारा 376, 376(A), 376(AB), 376(B), 376(C), 376(D), 376(DA), 376(DB), 376(E)
   - BNS: धारा 64, 66, 65, 67, 68, 70, 70, 70, 71

8.अपहरण

   - IPC: धारा 363, 366
   - BNS: धारा 137(2), 87

9.जाली दस्तावेज़

   - IPC: धारा 465, 466, 467, 468, 469, 471, 472, 473, 474
   - BNS: धारा 336(2), 337, 338, 336(3), 336(4), 340(2), 341, 341, 339

10. आग से हानि

    - IPC: धारा 435, 436
    - BNS: धारा 326(F), 326(G)

11. आपराधिक विश्वासघात

    - IPC: धारा 406, 407, 408, 409, 417, 418, 419, 420
  - BNS: धारा 316(2), 316(3), 316(4), 316(5), 318(2), 318(3), 319(2), 318(4)

12. सरकारी कर्मचारी पर हमला

    - IPC: धारा 332, 333, 353
    - BNS: धारा 121(1), 121(2), 132

13. सहायक

    - IPC: धारा 114, 120B, 34
    - BNS: धारा 54, 61(2), 3(5)

14. कोशिश

    - IPC: धारा 511
    - BNS: धारा 62

नई BNS को प्रस्तावित करने का मुख्य उद्देश्य अपराधों और दंडों को अधिक सटीक और आधुनिक बनाना है। यह संशोधन वर्तमान समय की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए किया गया है। कानून में ये बदलाव अपराधियों को अधिक सख्त दंड देने और समाज में कानून व्यवस्था बनाए रखने में मदद करेंगे।

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