सिमबॉक्स रैकेट का पर्दाफाश: साइबर क्राइम का नया चेहरा भुवनेश्वर-कटक पुलिस आयुक्तालय की बड़ी कार्रवाई

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सिमबॉक्स रैकेट का पर्दाफाश: साइबर क्राइम का नया चेहरा भुवनेश्वर-कटक पुलिस आयुक्तालय की बड़ी कार्रवाई

भुवनेश्वर-कटक पुलिस आयुक्तालय के अंतर्गत लक्ष्मीसागर थाना क्षेत्र में एक बड़ी कार्रवाई करते हुए पुलिस ने सिमबॉक्स रैकेट का भंडाफोड़ किया है। यह रैकेट पिछले 5 से 6 महीनों से सक्रिय था और अंतरराष्ट्रीय टेलीफोन कॉल को अवैध रूप से भारत में घुसपैठ कर रहा था। यह ऑपरेशन भुवनेश्वर पुलिस के डिप्टी कमिश्नर की देखरेख में हुआ, जहां पुलिस ने विश्वसनीय सूचना पर छापा मारकर आरोपी राकेश मंडल को गिरफ्तार किया। 

कैसे चलता था यह रैकेट?

महादेव नगर, झारपाड़ा के एक चार मंजिला इमारत के तीसरे तल पर सिमबॉक्स का अवैध सेटअप चल रहा था। पुलिस द्वारा वहां से पांच ऑपरेशनल सिमबॉक्स, दो अतिरिक्त सिमबॉक्स, सैकड़ों फर्जी सिम कार्ड, इंटरनेट राउटर और अन्य उपकरण जब्त किए गए। प्रारंभिक जांच में पता चला कि यह सिमबॉक्स सेटअप मुख्य रूप से पाकिस्तान, चीन और मिडल ईस्ट से वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल (VoIP) कॉल को भारतीय नेटवर्क में घुसपैठ करने के लिए उपयोग किया जा रहा था।

क्या है सिमबॉक्स?

सिमबॉक्स एक ऐसा उपकरण है जिसमें कई सिम कार्ड लगाए जाते हैं। इसका उपयोग अवैध तरीके से अंतरराष्ट्रीय कॉल को स्थानीय कॉल में बदलने के लिए किया जाता है। इस प्रक्रिया से टेलीकॉम कंपनियों और सरकार को भारी राजस्व नुकसान होता है। इस रैकेट में फर्जी सिम कार्ड का इस्तेमाल किया गया, जो बिना किसी वैध पहचान पत्र के प्राप्त किए गए थे।

रैकेट का उद्देश्य और प्रभाव

इस रैकेट का मुख्य उद्देश्य था गलत तरीके से धन अर्जित करना। ये लोग विदेशी संगठनों के साथ मिलकर काम कर रहे थे और अंतरराष्ट्रीय कॉल्स को भारतीय नेटवर्क में घुसाकर भारी मुनाफा कमा रहे थे। इनकी गतिविधियों से न केवल आर्थिक नुकसान हुआ, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा को भी खतरा पैदा हुआ। यह रैकेट साइबर फ्रॉड, ब्लैकमेलिंग, धमकी भरे कॉल और अन्य आपराधिक गतिविधियों में भी लिप्त हो सकता है।

आरोपी राकेश मंडल ने पूछताछ में बताया कि इसी तरह का एक और सेटअप ओडिशा के किसी अन्य स्थान पर भी चल रहा है। अब पुलिस उसे रिमांड पर लेकर आगे की जांच करेगी। 

यह घटना इस बात की गवाही देती है कि कैसे तकनीक का दुरुपयोग कर कुछ लोग कानून को ठेंगा दिखाकर समाज को नुकसान पहुंचा रहे हैं। पुलिस की मुस्तैदी और साइबर क्राइम विशेषज्ञों की मदद से इस रैकेट का भंडाफोड़ संभव हो सका है। लेकिन हमें सतर्क रहने की आवश्यकता है ताकि ऐसे रैकेट भविष्य में पनप न सकें।

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