भोपाल साइबर पुलिस ने 6 घंटे के डिजिटल अरेस्ट से पीड़ित को बचाया

0
राज्य साइबर पुलिस भोपाल द्वारा संभवतः देश में पहली बार किसी व्यक्ति को लाइव 6 घंटे डिजिटल अरेस्ट में रहने के दौरान उसके बंद कमरे को खुलवाकर त्वरित बाहर निकाला गया एवं निश्चित तौर पर डिजिटल अरेस्ट से होने वाली करोड़ों रुपए की ठगी होने से बचाया गया


भोपाल में राज्य साइबर पुलिस ने डिजिटल अरेस्ट के माध्यम से किए जा रहे साइबर ठगी का एक अनोखा मामला हल किया। यह घटना एक व्यक्ति के साथ हुई, जिसे साइबर ठगों ने TRAI, CBI, और मुंबई साइबर क्राइम सेल का फर्जी अधिकारी बनकर धमकाया और छह घंटे के लिए "डिजिटल अरेस्ट" में रखा। अगर पुलिस ने त्वरित कार्यवाही न की होती, तो व्यक्ति करोड़ों की ठगी का शिकार हो सकता था। आइए जानते हैं इस घटना का पूरा विवरण और उससे संबंधित आवश्यक सावधानियां।

घटना का विवरण



1.मामले का खुलासा: 9 नवंबर 2024 को अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (राज्य साइबर पुलिस मुख्यालय, भोपाल) श्री योगेश देशमुख को सूचना मिली कि अरेरा कॉलोनी निवासी एक व्यक्ति को डिजिटल अरेस्ट में रखा गया है। त्वरित कार्रवाई करते हुए उप पुलिस महानिरीक्षक श्री मो. यूसुफ कुरैशी के नेतृत्व में पुलिस टीम को भेजा गया।

2.डिजिटल अरेस्ट की हकीकत: जालसाजों ने पीड़ित व्यक्ति को फर्जी TRAI Legal Cell, CBI, और साइबर क्राइम सेल का अधिकारी बनकर डराया। उन्होंने SKYPE ऐप डाउनलोड करवाकर, पीड़ित को वीडियो कॉल के जरिए उनके कमरे में कैद कर रखा था। इन फर्जी अधिकारियों ने बैंकिंग डिटेल्स, आधार कार्ड जैसी निजी जानकारियां पूछीं और धमकाया कि उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

3.पुलिस की त्वरित कार्रवाई: पुलिस टीम ने पहुंचकर पीड़ित को समझाया कि "डिजिटल अरेस्ट" जैसा कोई कानूनी प्रावधान नहीं है। असली पुलिस अधिकारी कभी भी फोन या वीडियो कॉल पर गिरफ्तारी की बात नहीं करते। टीम ने वीडियो कॉल पर जालसाजों से बात की और उनकी फर्जी आईडी को वेरिफाई करने के लिए कहा, जिस पर उन्होंने कॉल काट दिया।

4.पीड़ित की प्रतिक्रिया: पुलिस की मदद से पीड़ित व्यक्ति को राहत मिली और वह ठगी का शिकार होने से बच गए। उन्होंने राज्य साइबर पुलिस को धन्यवाद दिया, जिन्होंने समय पर पहुँचकर उनकी मदद की और करोड़ों की ठगी को टाल दिया। 

प्रधानमंत्री की अपील

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने "मन की बात" में डिजिटल अरेस्ट जैसी घटनाओं पर सतर्कता बरतने की बात कही थी। उन्होंने नागरिकों से आग्रह किया था कि ऐसे मामलों में डरें नहीं, बल्कि सतर्कता से काम लें।

एडवाइजरी: डिजिटल अरेस्ट से कैसे बचें

- डिजिटल अरेस्ट जैसा कोई कानूनी प्रावधान नहीं है। कोई भी वास्तविक पुलिस अधिकारी वीडियो कॉल पर गिरफ्तार करने की धमकी नहीं देता।
- ऐसे कॉल और मैसेज का जवाब न दें। फर्जी कॉल्स को पहचानें और उन नंबर्स को तुरंत ब्लॉक कर दें।
-रिपोर्ट करें: यदि आपको इस प्रकार का कोई कॉल या मैसेज मिलता है, तो इसे अपने नजदीकी पुलिस थाने पर रिपोर्ट करें या [cybercrime.gov.in](https://cybercrime.gov.in) पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करें।

-सतर्क रहें और जागरूक रहें: साइबर ठग लगातार नए-नए तरीके अपनाते हैं। अगर आप किसी संदिग्ध गतिविधि का सामना करते हैं, तो बिना देर किए पुलिस को सूचित करें।

इस घटना से हमें यह सीख मिलती है कि डिजिटल युग में जहां एक ओर सुविधाएं हैं, वहीं साइबर अपराध का खतरा भी बढ़ रहा है। जागरूकता और सतर्कता ही हमारी सुरक्षा का सबसे बड़ा हथियार है।

Post a Comment

0 Comments
Post a Comment (0)
To Top