डिजिटल एरेस्ट: साइबर ठगों की नई चाल, घर की बजाय होटल रूम में कैद

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डिजिटल युग में साइबर अपराधी लगातार नए-नए तरीके (मोडस ऑपरेंडी) अपनाकर लोगों को ठग रहे हैं। हाल ही में गुजरात के शहरों में एक नई चाल का खुलासा हुआ है, जिसमें ठग अपने शिकार (टारगेट) को होटल के कमरे में कैद कर देते हैं। इसे "डिजिटल एरेस्ट" कहा जा रहा है, जहां पीड़ित को मानसिक रूप से प्रताड़ित कर लाखों रुपए की ठगी की जाती है।

साइबर ठगी का तरीका (मोडस ऑपरेंडी)

  • साइबर ठग पहले पीड़ित को फोन कॉल करके डराते हैं।
  • उन्हें बताया जाता है कि उनके नाम से कोई ड्रग्स या संदिग्ध पार्सल पकड़ा गया है।
  • इसके बाद ठग खुद को CBI, मुंबई क्राइम ब्रांच या अन्य एजेंसियों के अधिकारी बताकर बात करते हैं।
  • जब पीड़ित घबरा जाता है तो उसे घर छोड़कर नजदीकी होटल में जाकर रुकने का आदेश दिया जाता है।

होटल में क्यों भेजते हैं ठग?

  • ठग पीड़ित को घर से दूर ले जाते हैं ताकि वह परिवार या दोस्तों से संपर्क न कर पाए।
  • होटल में पहुंचने के बाद पीड़ित का सिम कार्ड हटवाकर उसे होटल के Wi-Fi पर बातचीत करने को कहा जाता है।
  • पीड़ित को डराया जाता है कि अगर उसने किसी से संपर्क किया तो बड़ी कानूनी कार्रवाई होगी।
  • ठग लगातार मानसिक दबाव बनाकर बैंक खाते से पैसे ट्रांसफर करवा लेते हैं।

कैसे बचें डिजिटल एरेस्ट से?

  • फोन कॉल पर किसी के डराने-धमकाने में न आएं।
  • खुद को CBI, पुलिस या सरकारी अधिकारी बताने वाले किसी भी व्यक्ति की जानकारी सत्यापित करें।
  • किसी भी परिस्थिति में अपना बैंक खाता या ओटीपी शेयर न करें।
  • अगर कोई आपको होटल में रुकने या अकेले रहने के लिए कहे तो तुरंत परिवार और पुलिस से संपर्क करें।
  • ठगी के शिकार होने पर साइबर क्राइम हेल्पलाइन (1930) या नजदीकी पुलिस स्टेशन में शिकायत करें।

साइबर ठगों की यह नई चाल "डिजिटल एरेस्ट" लोगों को मानसिक और आर्थिक रूप से तोड़ रही है। जरूरी है कि हम सतर्क रहें, जागरूक बनें और अपने परिवार तथा दोस्तों को भी इसके बारे में बताएं। याद रखें, ठग केवल डर का फायदा उठाते हैं, इसलिए शांत रहें और सही समय पर उचित कदम उठाएं।

"सतर्कता ही साइबर अपराधों से बचने का सबसे बड़ा हथियार है।"

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